भास्कर न्यूज. karda
परमपिता परमात्मा की कृपा का परिणाम से यह मानव तन इस जीवन को मिला है यह तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए ही है क्योकि अन्य योनियों से मनुष्य की विलक्षणता इसी योग्यता में है। यह विचार आचार्य संत डॉ. गोवर्धनराम शिक्षा शास्त्री ने गुरू जम्भेश्वर मदिर सरनाऊ में चल रही विराट जांभाणी हरिकथा के तीसरे दिन व्यक्त किये।
आचार्यजी ने कहा कि मनुष्य होकर मुमुक्षु होना यह दूसरी दुर्लभ वस्तु है। परमपिता परमात्मा की कृपा से ही मनुष्य के मन में अद्वेत की वासना का उदय होता है। उन्होंने श्रीमद्भगवतगीता का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान वासुदेव गीता में इसी बात को कहते हंै कि हजारों मनुष्यो में भी कोई ईश्वर प्राप्ति के लिए प्रयत्न करता है और उन पर हजारों सिद्वों में से किसी को ही तत्वज्ञान होता है।
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