गुरुवार, 23 मई 2013

मीठी वाणी से पराए भी अपने हो जाते है : संत राजेंद्रानंद

भास्कर न्यूज करड़ा
शब्द संवारे बोलिए, शब्द हाथ के पांव, एक शब्द है औषधि, एक शब्द है घाव। यह यह बात विश्नोई समाज के संत राजेंद्रा नंद महाराज ने कोटड़ा गांव में बुधवार को सात दिवसीय जांभाणी हरि कथा ज्ञान यज्ञ में उपस्थित समाज बंधुओं को प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने वाणी पर संयम रखने की बात कहते हुए कहा कि वाणी के द्वारा किसी का सम्मान नहीं कर सकते, तो किसी का अपमान भी नहीं करना, वाणी के द्वारा किसी का आदर नहीं कर सकते तो अनादर भी मत करना, वाणी मीठी नहीं बोल सकते, तो कड़वी वाणी बोलते समय थोड़ा विचार करना। जिस प्रकार एक शब्द औषधि बन जाया करता है, एक शब्द सुख पहुंचाने वाला है, एक शब्द आराम देने वाला होता है, एक शब्द से आदमी संतुष्ट हो जाता है, शां&52द्भ;ति मिलती है अगर उस शब्द मेंं शालीनता, सभ्यता, सज्जनता के साथ वाणी मे मिठास हो। शब्दों से, वाणी से पराए लोंग अपने हो जाते है, और अपने पराए हो जाते हैं। शत्रु, मित्र हो जाता है और मित्र, शत्रु। उन्होंने सेवा के बारे में बताते हुए कहा कि सेवा से काया निरोगी होती है। जो हमेंशा लोगों की सेवा मे रहता है, वह कभी बीमार नहीं होता। उन्होंने कहा कि मन को पवित्र करना हो तो प्रभु का स्मरण किया करो। प्रभु स्मरण से शरीर से कष्ट मिटेगा। प्रवचन के दौरान कोटड़ा सहित आस-पास के गांवों से आए लोग मौजूद थे। 
कोटडा मे हरीकथा मे प्रवचन देते संत राजेन्द्रानन्द्जी !

कोटडा मे हरीकथा के दौरान मौजूद श्रद्वालु !

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