भास्कर न्यूज -!- करड़ा
निकटवर्ती वाडाभाडवी व पुनासा में पिछले कुछ दिनों से खेजड़ी के पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया है। जिसके बाद विश्नोई समाज ने आक्रोश जताया है। विश्नोई समाज की बैठक बुधवार को जंभेश्वर मंदिर वाडाभाडवी में हुई। जिसमें पुनासा सरपंच ठाकराराम विश्नोई ने बताया कि करीब एक माह से पुनासा व वाडाभाडवी में खेजड़ी के पेड़ों को काटकर बेचा जा रहा है। इस संबंध में जिला प्रशासन व पुलिस को भी अवगत करवा दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। किसान नेता रामकिशन विश्नोई ने बताया कि खेजड़ी के पेड़ की रक्षा के लिए विश्नोई समाज के 365 लोगों ने जान दे दी थी। इसलिए खेजड़ी के पेड़ का विशेष महत्व है। इसके बावजूद कुछ लोगों द्वारा खेतों में खड़े हरे पेड़ों को काटकर बेचा जा रहा है। जिसको लेकर समाज में भारी आक्रोश है। श्याम खिलेरी ने बताया कि इस मामले में प्रशासन की ओर से प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो समाज द्वारा जिलेभर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
गुरुवार, 19 अप्रैल 2012
फाइलों में अटके लाखों रुपए
भास्कर न्यूज -!- करड़ा
डीगांव स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय की जर्जर स्थिति को देखते हुए पशुधन विकास बोर्ड की ओर से बीते साल जारी की गई लाखों की स्वीकृति अभी तक फाइलों में ही अटकी पड़ी है। इस राशि के उपयोग को लेकर कार्यकारी एजेंसी को विभाग ने कई बार अवगत भी कराया, लेकिन अभी तक इस भवन की दशा सुधर नहीं पाई है। ऐसे में अगर समय रहते इस राशि का उपयोग नहीं किया तो इसका बजट भी लैप्स हो सकता है।
जानकारी के अनुसार पशुधन विकास बोर्ड की ओर से बीते साल इस पशु चिकित्सालय भवन के पुनरुद्धार, मरम्मत, चार दीवारी निर्माण व पेयजल टांका समेत विभिन्न कार्यों के लिए 10 लाख रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी। साथ इस कार्य के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग का कार्यकारी एजेंसी बनाई गई थी, लेकिन स्वीकृति जारी होने से लेकर अब तक कई बार पशुपालन विभाग की ओर से कार्यकारी एजेंसी को अवगत कराया गया। साथ ही कार्य का तकमीना बनाकर भी भेजा गया। इसके बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में एजेंसी की ओर से निर्माण कार्य को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और भवन की स्थिति दिनों दिन जर्जर होती जा रही है। वहीं जर्जर भवन के कारण चिकित्साकर्मियों को भी काफी परेशानी हो रही है। उनका कहना है कि जल्द ही निर्माण कार्य नहीं किया गया तो बारिश के मौसम में स्थिति काफी विकट हो जाएगी। भवन पुराना होने से बारिश के समय छतें टपकती रहती हैं। साथ ही दरवाजे भी टूट चुके हैं। इस स्थिति में भवन हमेशा खुला ही रहता है।
सालों पहले बना था भवन : जानकारी के अनुसार डीगांव स्थित पशु चिकित्सालय भवन वर्ष 1993 में जवाहर रोजगार योजना के तहत बनाया गया था। इसके अलावा इस भवन की चारदीवारी का कार्य भी अधूरा ही पड़ा है। ऐसे में यहां कार्यरत चिकित्साकर्मियों को काफी परेशानी हो रही है। वहीं बारिश के समय छत टपकने से भवन में बैठना भी उनके लिए दूभर है।
इनका कहना
॥भवन पुराना होने से काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है व दरवाजे भी टूट चुके हैं। जिसके चलते काफी परेशानी होती है। गत वर्ष पशुपालन विभाग की ओर से 10 लाख रुपए भवन मरम्मत व पुनरुद्धार के लिए स्वीकृत हुए थे। साथ ही पीडब्ल्यूडी को कार्यकारी एजेंसी बनाया गया, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने अभी तक इस कार्य का तकमीना नहीं बनाया है। जिससे निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है।
डां. वी.पी. सिंह, चिकित्सा प्रभारी, पशु चिकित्सालय, डीगांव
डीगांव स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय की जर्जर स्थिति को देखते हुए पशुधन विकास बोर्ड की ओर से बीते साल जारी की गई लाखों की स्वीकृति अभी तक फाइलों में ही अटकी पड़ी है। इस राशि के उपयोग को लेकर कार्यकारी एजेंसी को विभाग ने कई बार अवगत भी कराया, लेकिन अभी तक इस भवन की दशा सुधर नहीं पाई है। ऐसे में अगर समय रहते इस राशि का उपयोग नहीं किया तो इसका बजट भी लैप्स हो सकता है।
जानकारी के अनुसार पशुधन विकास बोर्ड की ओर से बीते साल इस पशु चिकित्सालय भवन के पुनरुद्धार, मरम्मत, चार दीवारी निर्माण व पेयजल टांका समेत विभिन्न कार्यों के लिए 10 लाख रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी। साथ इस कार्य के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग का कार्यकारी एजेंसी बनाई गई थी, लेकिन स्वीकृति जारी होने से लेकर अब तक कई बार पशुपालन विभाग की ओर से कार्यकारी एजेंसी को अवगत कराया गया। साथ ही कार्य का तकमीना बनाकर भी भेजा गया। इसके बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में एजेंसी की ओर से निर्माण कार्य को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और भवन की स्थिति दिनों दिन जर्जर होती जा रही है। वहीं जर्जर भवन के कारण चिकित्साकर्मियों को भी काफी परेशानी हो रही है। उनका कहना है कि जल्द ही निर्माण कार्य नहीं किया गया तो बारिश के मौसम में स्थिति काफी विकट हो जाएगी। भवन पुराना होने से बारिश के समय छतें टपकती रहती हैं। साथ ही दरवाजे भी टूट चुके हैं। इस स्थिति में भवन हमेशा खुला ही रहता है।
सालों पहले बना था भवन : जानकारी के अनुसार डीगांव स्थित पशु चिकित्सालय भवन वर्ष 1993 में जवाहर रोजगार योजना के तहत बनाया गया था। इसके अलावा इस भवन की चारदीवारी का कार्य भी अधूरा ही पड़ा है। ऐसे में यहां कार्यरत चिकित्साकर्मियों को काफी परेशानी हो रही है। वहीं बारिश के समय छत टपकने से भवन में बैठना भी उनके लिए दूभर है।
इनका कहना
॥भवन पुराना होने से काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है व दरवाजे भी टूट चुके हैं। जिसके चलते काफी परेशानी होती है। गत वर्ष पशुपालन विभाग की ओर से 10 लाख रुपए भवन मरम्मत व पुनरुद्धार के लिए स्वीकृत हुए थे। साथ ही पीडब्ल्यूडी को कार्यकारी एजेंसी बनाया गया, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने अभी तक इस कार्य का तकमीना नहीं बनाया है। जिससे निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है।
डां. वी.पी. सिंह, चिकित्सा प्रभारी, पशु चिकित्सालय, डीगांव
रविवार, 15 अप्रैल 2012
जांभाणी हरिकथा
जंभेश्वर मंदिर वाडाभाडवी में रविवार से सात दिवसीय जांभाणी हरिकथा का आयोजन होगा। जिसमें स्वामी भागीरथदास शास्त्री की ओर से हरिकथा का वाचन किया जाएगा। इस अवसर पर स्वामी माधवाचार्य, कालूराम और चैनप्रकाश सहित बड़ी संख्या में विश्नोई समाज के लोग भाग लेंगे।
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